जिसे आज हम जीनियस कहकर पुकारते हैं, जिसका नाम संसार के महान वैज्ञानिकों में गिना जाता है, सापेक्षता का महत्वपूर्ण सिद्धांत देने वाला, नोबेल पुरुस्कार जीतने वाला, जिसकी समीकरण E=mc2 से परमाणु बम का विकास हुआ—वो बचपन में एक बहुत ही साधारण सा बालक था, जो शुरू में तुतलाता था, क्लास की पढ़ाई में पीछे था, जो एक बार स्कूल छोड़कर भाग गया था, और जिसे एक नौकरी पाने में नो वर्ष का समय लग गया।
यह कहानी है 1879 में जर्मनी में पैदा हुए अल्बर्ट आइंस्टीन की जिन्होंने अपने जीवन में अनगिनत कठिनाइयों का सामना करते हुए विज्ञान की दुनिया में अपना नाम कमाया और साबित किया कि इंसान अपने मन का काम करने के लिए किस हद तक जा सकता है।
आइंस्टीन की कह�... See more
जिसे आज हम जीनियस कहकर पुकारते हैं, जिसका नाम संसार के महान वैज्ञानिकों में गिना जाता है, सापेक्षता का महत्वपूर्ण सिद्धांत देने वाला, नोबेल पुरुस्कार जीतने वाला, जिसकी समीकरण E=mc2 से परमाणु बम का विकास हुआ—वो बचपन में एक बहुत ही साधारण सा बालक था, जो शुरू में तुतलाता था, क्लास की पढ़ाई में पीछे था, जो एक बार स्कूल छोड़कर भाग गया था, और जिसे एक नौकरी पाने में नो वर्ष का समय लग गया।
यह कहानी है 1879 में जर्मनी में पैदा हुए अल्बर्ट आइंस्टीन की जिन्होंने अपने जीवन में अनगिनत कठिनाइयों का सामना करते हुए विज्ञान की दुनिया में अपना नाम कमाया और साबित किया कि इंसान अपने मन का काम करने के लिए किस हद तक जा सकता है।
आइंस्टीन की कहानी में प्रेरणा की वो ज्वाला है जो आपके जीवन को भी बदल कर रख देगी। कोई भी जन्मजात जीनियस नहीं होता। आदमी की मेहनत और लगन उसे जीनियस बना देती है।